Hyundai Grand i10 Crash Test Rating :- किसी भी कार को खरीदते समय हम उसके डिजाइन, माइलेज और फीचर्स पर ज्यादा ध्यान देते हैं, लेकिन जब बात सुरक्षा की आती है तो कई बार कुछ सच्चाइयां हमें चौंका देती हैं। हाल ही में कुछ ऐसा ही हुआ, जब अफ्रीकी बाजार के लिए भारत में बनी Hyundai Grand i10 को Global NCAP के नए क्रैश टेस्ट में बेहद निराशाजनक नतीजे मिले। यह रिपोर्ट न सिर्फ हैरान करती है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि कार की असली कीमत उसके यात्रियों की सुरक्षा से तय होती है।
Hyundai Grand i10 Crash Test Rating
Global NCAP की नई रिपोर्ट के मुताबिक Grand i10 ने एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन में शून्य स्टार हासिल किए। यह नतीजा इसलिए और ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट में ड्राइवर के सीने की सुरक्षा बेहद कमजोर पाई गई। साइड इम्पैक्ट टेस्ट में चोट का जोखिम इतनी हद तक बढ़ गया कि वह स्वीकार्य सीमा से ऊपर चला गया। इसके बाद एडल्ट सेफ्टी को सीधे जीरो अंक दिए गए।
जांच में यह भी सामने आया कि कार का बॉडीशेल और फुटवेल एरिया अस्थिर हैं और ज्यादा दबाव सहन नहीं कर सकते। अफ्रीकी मॉडल में साइड एयरबैग, हेड एयरबैग या स्टैंडर्ड ESC जैसे जरूरी सुरक्षा फीचर्स मौजूद ही नहीं हैं। सीट-बेल्ट रिमाइंडर भी सिर्फ ड्राइवर के लिए है, जो आज के समय में एक बड़ी कमी मानी जाती है।
ग्लोबल NCAP के सीईओ रिचर्ड वुड्स ने साफ कहा कि गरीब और मध्यम आय वाले देशों में कमज़ोर सुरक्षा फीचर्स देना किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है। उनका संदेश स्पष्ट था कि चाहे ग्राहक दुनिया के किसी भी हिस्से में हो, उसे सुरक्षित वाहन मिलना चाहिए।
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यह सवाल स्वाभाविक है। लेकिन यहां फर्क समझना जरूरी है। टेस्ट में जिस मॉडल की जांच हुई वह अफ्रीकी स्पेक Grand i10 थी, जबकि भारत में जो Hyundai Grand i10 Nios बेची जाती है, उसका सुरक्षा सेटअप इससे कहीं ज्यादा बेहतर है।
भारतीय मॉडल में शुरुआत से ही ड्राइवर व पैसेंजर एयरबैग, ABS और सीट-बेल्ट प्री-टेंशनर्स जैसे फीचर्स मिलते हैं। इसके अलावा ऊंचे वेरिएंट में इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम, व्हीकल स्टेबिलिटी मैनेजमेंट और हिल-स्टार्ट असिस्ट जैसे आधुनिक फीचर्स भी जोड़े गए हैं। हालांकि ISOFIX चाइल्ड माउंट्स सिर्फ टॉप वेरिएंट तक सीमित हैं, जो अलग मुद्दा है।
इस फर्क से साफ है कि भारत में बिकने वाला मॉडल संरचना और फीचर्स के मामले में कहीं बेहतर है, लेकिन फिर भी वैश्विक स्तर पर अलग-अलग सुरक्षा पैकेज देने की प्रथा लगातार सवालों के घेरे में है।
Should safety be the same in every market?
यह पूरा मामला एक बार फिर इस बहस को हवा देता है कि क्या कार कंपनियां सभी देशों में एक जैसी सुरक्षा नहीं दे सकतीं? विशेषज्ञों का मानना है कि ग्राहक चाहे भारत में बैठे हों या अफ्रीका में, उनकी जान की कीमत एक जैसी है। जब कारें एक ही फैक्ट्री से बनकर दुनिया भर में भेजी जाती हैं, तो सुरक्षा मानक भी एक जैसे होने चाहिए।
उपभोक्ता भी अब पहले की तुलना में अधिक जागरूक हैं। सोशल मीडिया और रेटिंग सिस्टम की वजह से लोग जानने लगे हैं कि कौन सी कार सिर्फ दिखने में अच्छी है और कौन सी सचमुच सुरक्षित है। आज के खरीदार सिर्फ एक चमकदार कार नहीं चाहते, वे ऐसी कार चाहते हैं जो किसी भी दुर्घटना में उनका साथ दे सके।
Hyundai Grand i10 Global NCAP रिपोर्ट हमें याद दिलाती है कि कार की सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत है। यह मामला केवल एक मॉडल का नहीं, बल्कि उस सोच का है जिसमें अलग-अलग बाजारों के लिए अलग सुरक्षा मानक तय किए जाते हैं। उम्मीद है कि कंपनियां और नियामक इस दिशा में और कठोर कदम उठाएंगे, ताकि हर ग्राहक सुरक्षित वाहन पा सके।
Disclaimer :- इस लेख में दी गई जानकारी विश्वसनीय रिपोर्ट्स और जारी परिणामों पर आधारित है। इसका उद्देश्य जागरूकता फैलाना है, न कि किसी ब्रांड, मॉडल या कंपनी की छवि खराब करना।
