I Love Mohammad :- देश में अक्सर धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों को लेकर बहस छिड़ती रहती है, लेकिन इस बार विवाद की वजह बने कुछ बैनर और पोस्टर। उत्तर प्रदेश के कानपुर से शुरू हुआ I Love Mohammad विवाद देखते ही देखते कई राज्यों तक फैल गया। इस मुद्दे ने न सिर्फ सड़क से सोशल मीडिया तक हलचल मचाई, बल्कि राजनीति और समाज में भी बड़ी बहस खड़ी कर दी।
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कानपुर से क्यों शुरू हुआ विवाद?
सितंबर की शुरुआत में बारावफात के मौके पर कानपुर के रावतपुर इलाके में मुस्लिम युवाओं ने जुलूस के दौरान I Love Mohammad लिखे बैनर और पोस्टर लगाए। उनका मानना था कि यह पैगंबर मोहम्मद के प्रति सम्मान और प्यार दिखाने का एक तरीका है। लेकिन स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसे नई परंपरा बताते हुए आपत्ति जताई। माहौल बिगड़ने पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया और बैनर हटवा दिए। साथ ही 9 लोगों को नामजद करते हुए 15 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
पुलिस बनाम मुस्लिम पक्ष: अलग-अलग दावे
पुलिस का कहना है कि मामला सिर्फ बैनर तक सीमित नहीं था। जुलूस में तय जगह से अलग टेंट लगाया गया और दूसरे समुदाय के धार्मिक पोस्टर भी फाड़े गए, जिसकी वजह से एफआईआर करनी पड़ी। वहीं मुस्लिम समुदाय का आरोप है कि I Love Mohammad को अपराध की तरह पेश किया जा रहा है। उनके अनुसार यह तो बस पैगंबर मोहम्मद के प्रति मोहब्बत और श्रद्धा जताने का तरीका है, इसमें सांप्रदायिक तनाव भड़काने जैसी कोई बात नहीं है।
विरोध की चिंगारी पहुंची दूसरे राज्यों तक
कानपुर से शुरू हुआ यह मामला धीरे-धीरे यूपी के अन्य जिलों और फिर देश के कई राज्यों तक पहुंच गया। उन्नाव, महाराजगंज और कौशांबी में मुकदमे दर्ज हुए, जबकि लखनऊ में मुस्लिम महिलाएं विधानसभा गेट नंबर 4 के सामने बैठकर विरोध जताने लगीं। नागपुर में मस्जिदों पर I Love Mohammad के पोस्टर लगाए गए और जुलूस निकाले गए। बरेली में एक मुस्लिम नेता का वीडियो वायरल हुआ जिसमें उन्होंने पुलिस अधिकारी को धमकी तक दे डाली।
उत्तराखंड के काशीपुर में बिना अनुमति निकाले गए जुलूस के दौरान हालात बिगड़े और पुलिस से झड़प हो गई। यहां पथराव की घटनाएं भी सामने आईं और कई गिरफ्तारियां हुईं।
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सियासत में भी गूंजा मामला
इस विवाद पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि I Love Mohammad कहना अपराध नहीं है। अगर यह अपराध है तो वे खुद सजा भुगतने को तैयार हैं। बरेली के मौलाना तकीर रजा और वर्ल्ड सूफी फोरम के अध्यक्ष हजरत सैयद मोहम्मद अशरफ ने भी पुलिस की कार्रवाई की आलोचना की।
सोशल मीडिया पर भी इस विवाद ने तेजी पकड़ी। हजारों लोगों ने I Love Mohammad को अपनी प्रोफाइल तस्वीर बना लिया और यह हैशटैग ट्रेंड करने लगा।
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सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप
मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि भाजपा सरकार धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला कर रही है। जबकि भाजपा प्रवक्ताओं का कहना है कि कार्रवाई धर्म देखकर नहीं बल्कि कानून तोड़ने वालों पर की जा रही है। उनका कहना है कि पोस्टर और बैनर लगाने के लिए तय जगहें होती हैं और अगर बिना अनुमति ऐसा किया जाएगा तो कार्रवाई जरूरी है।
Disclaimer :- यह लेख केवल समाचार और जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार और दावे संबंधित पक्षों और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित हैं। हमारा उद्देश्य किसी धर्म, समुदाय या व्यक्ति की भावनाओं को आहत करना नहीं है।